रासो साहित्य : प्रामाणिकता का प्रश्न
इस वीडियों में आदिकालीन रासो ग्रन्थों की ऐतिहासिकता से परिचय करवाकर उनकी प्रामाणिकता एवं आप्रामाणिकता का पहचाना और विभिन्न विद्वानों के मत समझ सकते है। मुख्यतः पृथ्वीराज रासो के संदर्भ में...।
*** रासो काव्य समय-समय पर परिवर्तित होते रहे है।
*** वीर रस की जैसी ओजपूर्ण अभिव्यक्ति रासो काव्यों में हुई है, वैसी परवर्ति साहित्य में नहीं है।
*** तत्कालीन भाषा के स्वरूप समझने में रासो काव्य उपादेय है।